"कर्म को केवल अधिकार के लिए नहीं करना चाहिए, बल्कि फल के लिए भी करना चाहिए।"यह बुद्ध के दशमलव सूत्र से उठा है। "न कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" का अर्थ है "कर्म को किसी के द्वारा केवल करने के लिए किया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि कर्म के फल को कोई नहीं जान सकता।"
न कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन का अर्थ ?
January 24, 2023
"न कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" का अर्थ है कि "कर्म के साथ अधिकार का संकेत नहीं करना, क्योंकि फल समय पर ही होते हैं"। यह भगवद कृष्ण द्वारा उनके अधिकारी अर्जुन को स्वयं के कर्मों के परिणाम के बारे में सूचित किया गया था।
"न" - नहीं,
"कर्मण्येवाधिकारस्ते" - कर्म के कोई अधिकार नहीं,
"मा" - नहीं,
"फलेषु" - फल,
"कदाचन" - कभी नहीं
"न कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" का अर्थ है
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