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Aangan sayari and status - आंगन शायरी 2 लाइन

आंगन शायरी 2 लाइन - Aangan Status
एक टुकड़ा बादल एक आंगन बरसात। दिल की यही ख्वाहिश के भीगूँ तेरे साथ।
ना मांगू मैं महल ना बंगला ना कोठी, जन्म मिले उस आंगन में जहाँ जले राधे की ज्योति।
agan sayari
बनके चराग हम जलते रहे जिनके आंगन मे, बुझने के बाद मालूम हुआ वहाँ अंधेरा ही ना था।
जब खिलौने तो महंगे थे, पर खुशियां सस्ती होती थीं। हमारे आँगन का पानी, हमारी ही कश्ती होती थी।
जब ख्यालों में भी अपने शैतानों की बस्ती होती थी। वो दिन थे जब सच्चे थे दोस्त और सच्ची मटरगश्ती होती थी।
सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में। मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है।
महक उठा है आँगन इस खबर से, वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।
लाख गुलाब लगा लो अपने आंगन में सनम, खुशबू और बहार तो हमारे आने से ही आएगी।
जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है, उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।
कुछ खामोशियां गाढ़ गया था वो मेरे आँगन में, इर्दगिर्द कुछ उगने लगा है मेरा खालीपन सूनापन।
तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम, मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।
सूने आँगन की उदासी में इज़ाफ़ा हो गया, चोंच में तिनके लिये जब फ़ाख़्ताये आ गयी।
दीवारे खिंचती है घर के आंगन मे भी, इंसान कहीं भी समझौता नहीं करता।
कभी वक़्त मिले तो रखना कदम मेरे दिल के आँगन में, हैरान रह जाओगे मेरे दिल में अपना मुक़ाम देखकर।
प्यार के आंगन में इश्क की बारिश में कभी भीगे थे हम, जो बुखार चढा कि आज तक उतरने का नाम नहीं लेता।
रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर, इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया।
लाख गुलाब लगा लो तुम अपने आँगन में, जीवन में खुश्बू बेटी के आने से ही होगी।
आंगन शायरी 2 लाइन - Aangan Status
उसे छत पर टंगे आलीशान झूमर पसंद थे, और मेरा दिल किसी आँगन में जलते दीप का दीवाना था।
ऐ चाँद, ठहर कर किसी रात मेरे आंगन में मेरी रात मुकम्मल कर दे, चूम कर मेरी मुंडेर को मेरी दर ओ दीवार को जन्नत कर दे।
जन्नत की महलों में हो महल आपका, ख्वाबो की वादी में हो शहर आपका।
सितारो के आंगन में हो घर आपका, दुआ है सबसे खूबसूरत हो हर दिन आपका।
आँगन में देख के चुगते दाना चिड़ियाँ को, लगा ऐसा के जिंदगी यूँ भी कितनी हसीन है।
बना दे मुझे तेरे दिल का ADMIN फिर देख, तेरे दिल के आंगन में खुशियाँ ADD कर दूंगी।
तुझे तकना, तुझे सुनना, ये मेरा हँसना, व मचल जाना, मेरे ग़म के आँगन में फ़क़त यही दो चार खुशियाँ हैं।
इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए, जिस का हम-साये के आँगन में भी साया जाए।।

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