तेरा हुस्न वो कातिल है ज़ालिम,
जो क़त्ल तो करता है और,
हाथ में तलवार भी नही रखता।
मसला ये भी है इस ज़ालिम दुनिया का,
कोई अगर अच्छा भी है तो क्यूँ है?
राज दिल में छुपाये रहते हैं,
अपने आँखों से छलकने नहीं देते,
क्या ज़ालिम अदा है उस हसीं की,
ज़ख्म भी देते हैं और तड़पने नहीं देते।
दिन से माह माह से साल गुजर गई है,
अब तो आजा जालिम आखें तरस गई है।
jalim shayari Hindi
बहुत ज़ालिम निगाहें हैं इन्हें मासूम मत समझो,
अगर तफ़्तीश हो जाये हज़ारों क़त्ल निकलेंगे।
अधरों से लगा ले ज़ालिम बाँसुरी हो ज़ाऊंगी,
इश्क़ है.तुमसे जालिंम सारे ज़हान को सुनाऊंगी।
कोई और कर्ज होता तो उतार देता,
ये जालिम इश्क़ का कर्ज उतारा नही जाता।
उधर ज़ालिम ने ज़ुल्फे झटक दी,
यहां दीवाना जान से गया।
ज़ालिम शायरी Hindi
बहुत जालिम हो तुम भी मुहब्बत ऐसे करते,
हो जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो।
तुम जानती हो की मैं बहुत जालिम हूँ,
फिर इतना मोहब्बत क्यों करती हो मुझसे.
तुम कहती हो मोहब्बत बहुत, असर रखती है,
और उसी से मैं बदल डालुंगी तुम्हें।
इतने जालिम न बनो कुछ तो कदर करो,
तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे।
अब जो कहती हो कि जालिम से बने बैठे हो,
तुम जरा याद करो मौहब्बत भी रहा हूँ में।
ज़ालिम शायरी 4 लाइन
दुनिया बड़ी जालिम है
हर बात छिपानी पड़ती है,
दिल में दर्द होता है फिर भी
होंठो पर हंसी लानी पड़ती है।
बड़े जालिम थे मेरे सनम,
मोहब्बत की लत लगा कर,
मुझे तनहा कर गया।
ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा,
जब हम उसके गुलाम हो गए।
कितनी जालिम हैं ये फरवरी,
दिल जोडती भी है दिल तोडती भी है।
ज़ालिम Shayari
कितनी तारीफ करूं,
उस जालिम के हुस्न की,
पूरी किताब तो बस उसके,
होठों पर ही खत्म हो जाती है।
पलट कर देख ये ज़ालिम,
तमन्ना हम भी रखते है,
तुम अगर हुस्न रखती हो तो,
जवानी हम भी रखते है।
मैं कहता था ना कि वक्त जालिम होता है ,
देख लो हकीकत से ख्वाब हो गए तुम भी।
सुन चुके जब हाल मेरा,
ले के अंगड़ाई कहा,
किस ग़ज़ब का दर्द,
ज़ालिम तेरे अफ़्साने में था?
ज़ालिम शायरी in Urdu
क़ातिल हैं ज़ालिम की नीची निगाहें,
ख़ुदा जाने क्या हों, जो नज़रें उठाले।
हज़ारों चाहने वाले हैं दीवाना नहीं मिलता,
जो हम पर जान भी वारे वो परवाना नहीं मिलता,
अजी हम तो बड़े ही शौक़ से बरबाद हो जाएं,
मुहब्बत का मगर ज़ालिम ये नज़राना नहीं मिलता।
ज़ालिम तो ये ठण्ड भी हैं सनम,
मजबूर कर देती हैं मुझे हर बार,
तेरी बाँहों में समां जाने के लिए।
बडे गुस्ताख हैं, झुक कर तेरा चेहरा चूम लेते हैं,
तुमने भी जानम, जालिम ज़ुल्फ़ों को सर चढा रखा है।
Zalim Julfon Ko
इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है,
इश्क़ नहीं किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है।
इश्क सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पे मरना सिखा देता है,
इश्क नहीं किया तो करके देखो,
जालिम हर दर्द को पीना सिखा देता हैं।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
वो सुर्ख होंठ और उन पर जालिम अंगडाईयां,
तू ही बता ये दिल मरता ना तो क्या करता?।
ज़ालिम शायरी Hindi
ये जालिम हिचकियाँ थमती क्यूँ नहीं आखिर,
किसके जहन में आकर यू थम सा गया हूँ मैं।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
बड़ा जालिम जमाना है यहां हर शख्स सयाना है,
यह मैं नहीं कहता ये भी कहता जमाना है।
बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है,
यहां मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है।
ज़ालिम शायरी in Urdu
इस कदर कातिल नजरों से देखा उस जालिम ने,
दिल तो गया ही साथ मे 15 रुपये का समोसा भी गिर गया।
बर्बाद ना कर ज़ालिम,
ठोकर से मजारों को,
इस शहर-ए-खामोशा को,
मर-मर के बसाया है।
जालिम जख्म पर,
जख्म दिए जा रहा है,
शायद जान गया है,
उसकी हर अदा पे मरते हैं हम।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।