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Taala Shayari two Line | ताला शायरी

Taala Shayari two Line

Taala Shayari two Line
मैंने दरवाज़े पे ताला भी लगा कर देखा लिया, पर ग़म फिर भी समझ जाते है की मैं घर में हूँ।
लगा के ताला अपने दिल के दरवाज़े पे, चाबी फेंक दी मैंने अकेलेपन के समंदर में।
आसान नही होता किसी ताले की चाबी होना, गहराई में समाकर दिल जीतना पड़ता है।
ताले लगा दिए दिल को अब उसका अरमान नहीं, बंद होकर फिर खुल जाए ये कोई दुकान नहीं।
ताला Shayari
कब तक ताले लगाकर रखोगे दिल के दरवाजे पर, आज नहीं तो कल. मेरा प्यार मजबूर कर ही देगा।
सारा बाजार, घूम के देख लिया, तेरी यादो को बंद करने वाले, ताले कहीँ नही मिले।
नज़र घायल जिगर छलनी, जुबां पर सौ सौ ताले है, मोहब्बत करने वालों के, मुकद्दर भी निराले हैं।
ताले की चाबी बनो गहराई तक मार, दिल का दिल से मेल को सब कहते हैं प्यार।
ताला शायरी 2 लाइन
हर ताले की एक चाबी होती हैं, वो जिसने ढूढ ली, उसकी जिंदगी गुलजार हो जाती हैं।
सारी चाबियाँ लगा डाला, खुला नहीं किस्मत का ताला।
खुले आसमाँ के तले भी बंदिशों के ताले हैं बहुत, बेहतर है कि चाबियाँ बनाने का हुनर सीखा जाये।
ताला एक तरफ चाबी घुमाने से बंद होता है, तो वहीँ दूसरी ओर घुमाने से खुल भी जाता है।
ताला शायरी Urdu
ताला चाबी से भी खुलता है और*हथौड़ा से भी, लेकिन चाबी से खुला ताला, बार-बार काम आता है, और हथौड़ा से खुला ताला केवल एक बार।
लगातार हो रही असफलताओं से, निराश नहीं होना चाहिए, कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी, ताला खोल देती है।
शायद कोई चाबी हैं तुम्हारी हंसी में, यु ही नहीं खुल जाते मेरी खुशियों के ताले।
अगर होता जोर तुम पर, तो दुनिया से तुम्हे चुरा लेते, दिल के मकान में, ताला लगाकर चाबी पानी में बहा देते।
ताला शायरी Urdu
चाबी मेरे खुशियों के ताले की, सिर्फ तुम हो।
संबंधों के तालो को क्रोध के हथौड़े से नहीं, बल्कि प्रेम की चाबी से खोलो।
उनकी दुकानों के भी ताले टूट जाते हैं, जो दिन भर में सैंकड़ों ताले बेच देते हैं।
सफलता जिस ताले में बंद रहती हैं, वह दो चाबियों से खुलता है, एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ संकल्प।
ताला शायरी 2 लाइन
किस्मत के तालों की चाबी, किस्मत से ही मिलती है।
उनकी दुकानों के भी ताले टूट जाते हैं, जो दिन भर में सैंकड़ों ताले बेच देते हैं।
परिश्रम वह चाबी है, जो किस्मत के सभी दरवाज़ों के ताले खोल देती है।
दीवारे छोटी होती थी, फकत एक पर्दा होता था, ताले की इज़ाद से पहले, सिर्फ भरोसा होता था।

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