आवाज़ पर शायरी आवाज़ पर शायरी - Aawaz Par Shayari
Mukesh Kumar
December 02, 2023
Aawaz-Par-Shayari
बड़ी ख़ामोशी से टुट गया,
एक भरोसा जो तुझपे था।
काश एक बार आवाज तो दी होती तुमने,
हम तो वहाँ से भी लौट आते जहाँ से कोई नहीं आता।
बैठता वहीं हूँ, जहाँ अपनेपन का अहसास है मुझको,
यूं तो जिन्दगी में कितने ही लोग आवाज देते हैं मुझको।
लय में डूबी हुई मस्ती भरी आवाज़ के साथ,
छेड़ दे कोई ग़ज़ल इक नए अंदाज़ के साथ।
काश की लम्हे भर के लिये रुक जाये ज़मी की गर्दिशे,
और कोई आवाज ना हो तेरी धड़कने के सिवा।
Aawaz Par Shayari
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है,
वो बोलता है तो उसकी आवाज़ में इक रौशनी सी होती है।
सीने में जूनून और आँखों में
देशभक्ति की चमक रखता हूँ।
दुश्मन की सांसे थम जायें,
आवाज में इतनी धमक रखता हूँ।
तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो,
लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में न हो।
ना आवाज हुई,
ना तमाशा हुआ।
आवाज़ पर शायरी
सुनो बाबु तुम्हारी आवाज़ नहीं आ रही,
लगता हैं नेटवर्क की प्रॉब्लम हैं।
बैठती वहीं हूँ जहाँ अपनेपन का अहसास है मुझको,
यूं तो जिन्दगी में कितने ही लोग आवाज देते हैं मुझको।
एक आवाज़ ने तोड़ी है ख़मोशी मेरी,
ढूँढता हूँ तो पस-ए-साहिल-ए-शब कुछ भी नहीं।
चलो अब आवाज दी जाये नींद को,
कुछ थके थके से लग रहे हैं ख्वाब मेरे।
कभी आवाज में कशिश थी कभी नजरो में नशा था,
फिर जो तेरा असर होने लगा होश मै खोने लगा।
आवाज़ पर शायरी
तुझे सुनने की जुस्तजू हो रही है ऐसे,
मेरी धड़कने तेरी आवाज की मोहताज हो जैसे।
काश मेरा घर तेरे घर के सामने होता,
तू ना आती तो क्या तेरी आवाज़ तो आती।
दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फसाने पे न जा,
मेरी नज़रों की तरफ देख ज़माने पे न जा।
तुझे इधर उधर ढूंढती हैं मेरी आंखे,
जब सुनता हूँ किसी के पायल की आवाज़।
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ पर उतार कर,
चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नहीं होती।
Aawaz Par Shayari
ना उसने मुड़ कर देखा ना हमने पलट कर आवाज दी,
अजीब सा वक्त था जिसने दोनो को पत्थर बना दिया।
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर,
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है।
मेरी आवाज़ को महफूज कर लो,मेरे दोस्तों,
मेरे बाद बहुत सन्नाटा होगा तुम्हारी महफ़िल में।
तड़पता है दिल तेरी आवाज़ के लिए,
तेरे प्यार भरे चंद अलफ़ाज़ के लिए।
दिल की आवाज से नगमें बदल जाते हैं,
साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं।
Aawaz Par Shayari
पलके भी जरा सम्भाल कर झपकना क्युँकी,
पलकें झपकने से सपने बदल जाते हैं।
यूँ तो एक आवाज दूँ और बुला लूँ तुम्हें मगर,
कोशिश ये है कि खामोशी को भी आजमा लूँ जरा।
खामोशी बेसबब नहीं होती,
दर्द आवाज छीन लेता है।
करो हमें फना अपनी इस अदा ले लिए,
तड़पते है हम तुमसे एक मुलाकात के लिए।
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ पर उतार कर,
चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नहीं होती।
Aawaz Par Shayari
दिल की आवाज से नगमें बदल जाते हैं,
साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं।
पलके भी जरा सम्भाल कर झपकना क्युँकी,
पलकें झपकने से सपने बदल जाते हैं।
यूँ तो एक आवाज दूँ और बुला लूँ तुम्हें मगर,
कोशिश ये है कि खामोशी को भी आजमा लूँ जरा।
खामोशी बेसबब नहीं होती,
दर्द आवाज छीन लेता है।
बैठती वहीं हूँ जहाँ अपनेपन का अहसास है मुझको,
यूं तो जिन्दगी में कितने ही लोग आवाज देते हैं मुझको।
आवाज़ पर शायरी
एक आवाज़ ने तोड़ी है ख़मोशी मेरी,
ढूँढता हूँ तो पस-ए-साहिल-ए-शब कुछ भी नहीं।
चलो अब आवाज दी जाये नींद को,
कुछ थके थके से लग रहे हैं ख्वाब मेरे।
कभी आवाज में कशिश थी कभी नजरो में नशा था,
फिर जो तेरा असर होने लगा होश मै खोने लगा।
करो हमें फना अपनी इस अदा ले लिए,
तड़पते है हम तुमसे एक मुलाकात के लिए।
Aawaz Par Shayari
ना उसने मुड़ कर देखा ना हमने पलट कर आवाज दी,
अजीब सा वक्त था जिसने दोनो को पत्थर बना दिया।
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर,
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है।
मेरी आवाज़ को महफूज कर लो,मेरे दोस्तों,
मेरे बाद बहुत सन्नाटा होगा तुम्हारी महफ़िल में।
तड़पता है दिल तेरी आवाज़ के लिए,
तेरे प्यार भरे चंद अलफ़ाज़ के लिए।