Mahtaab Shayari Status Images In Hindi महताब शायरी स्टेटस का बेहतरीन कलेक्शन
Mukesh Kumar
March 05, 2024
2 Line Romantic Mahtaab Shayari
मेरी निगाहों ने ये कैसा ख्वाब देखा है,
ज़मीं पे चलता हुआ माहताब देखा है।
भरे शहर में एक ही चेहरा था जिसे आज भी गलियां ढूँढती हैं,
किसी सुबह उस की धूप हुई किसी शाम वो ही माहताब हुआ।
Mahtaab Shayari Images
तेरी होंठों की पंखुडिया गुलाब लगती है,
तेरी मोहक आँखे शराब लगती है,
जिक्र करूँ क्या तेरी रूह की मुस्कान का तेरी हर अदा माहताब लगती है।
शाम के नोक से हौले हौले रिस रही है रात,
माहताब के दीदार से आफ़ताब ठिठक गया।
Mahtaab Status For Facebook
आज फिर माहताब को दिलकशी से मुस्कुराते देखा,
पड़ी जब किरणें आफताब की उनके रुखसार पर।
ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी पीता हूँ
रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में।
Heart Touching Mahtaab Shayari
उनका चेहरा कभी आफ़ताब लगा तो कभी माहताब,
हम सितारा-ए-मायूस बने सफ़र करते रहे।
तेरा ख़याल दिलनशीं माहताब सा,
कहने को ज़िन्दगी ये आफ़ताब थी।
Mahtaab Status For WhatsApp
सफ़र ए माहताब हुआ तमाम,
अब तो अश्क़ ए इन्तज़ार की रवानी बंद करो।
किस बला के हसीन नज़र आते हो मानिन्द-ए-माहताब नज़र आते हो,
है तूफ़ान शायद आने वाला तुम जो ख़ामोश नज़र आते हो।
"Mahtaab Poetry In Hindi"
शब्-ए मिराज़ में उदास, माहताब क्यूँ है,
शमा बुझी-बुझी सी है जिगर में इन्कलाब क्यूँ है।
मतला-ए-हस्ती की साज़िश देखते हम भी "शकील",
हम को जब नींद आ गई फिर माहताब आया तो क्या।
Mahtaab Par Shayari
फिर वही माँगे हुए लम्हे,फिर वही जाम-ए-शराब,
फिर वही तारीक रातों में ख़याल-ए-माहताब।
आ गया था उनके होठों पर तबस्सुम ख्वाब में,
वर्ना इतनी दिलकशी कब थी शबे-माहताब में।
Mahtaab Poetry in Hindi Urdu
छा रही उफ़क़ पे सुर्खी की लकीरें,
हो रहे हैं रुख्सत, माहताब और सितारे।
चाँदनी में न यूँ नकाब हटा, न खफ़ा माहताब हो जाए,
तेरी नज़रों का सुरूर ऐसे बढ़े, एक दिन बेहिसाब हो जाए।
Shayari on Mahtaab With Images
चिराग-ऐ-बज़म ये फासला कीजिए,
बहकती गज़ल कोई कहिए माहताब ये मेहरबां रौशन है।
आसमां को निहारते रातें बीत जाती हैं,
भुखे को नजर आती रोटी माहताब मे।
"Mahtaab Status For WhatsApp"
बामे-मीना से माहताब उतरे,
दस्ते-साक़ी में आफ़्ताब आए।
मैं आफताब हूँ अपनी ही आग से निखरता हूँ,
तू माहताब है तुझे मेरी ज़रूरत है।
"Mahtaab Poetry For WhatsApp"
उसे पता था कि तन्हा न रह सकूँगी मै,
वो गुफ़्तगू के लिए माहताब छोड़ गया।
साक़ी नज़र न आये तो गर्दन झुका के देख,
शीशे में माहताब है सच बोलता हूँ मैं।
Mahtaab Poetry in Hindi
फिर वही माँगे हुए लम्हे, फिर वही जाम-ए-शराब,
फिर वही तारीक रातों में ख़याल-ए-माहताब।
ज़मीन तेरी कशिश खींचती रही हमको,
गए ज़रूर थे कुछ दूर माहताब के साथ।
Romantic Mahtaab Shayari
माहताब शायरी स्टेटस का बेहतरीन कलेक्शन
हम ख्वाहिश ए दीदार ए माहताब रखते हैं,
आप हैं के रूख पे नकाब रखते हैं।
झुका-झुका-सा है माहताब आरज़ूओं का,
धुआँ-धुआँ हैं मुरादों की कहकशाँ यारों।
Mahtaab Poetry in Urdu
खुशबू के ज़ज़िरों से तारों कि हद तक,
लब-ए लविश माहताब रहेने दो।
वो आज भी मेरे तसव्वुर के माहताब हैं,
नादाँ बादल हूँ, उनपे छा नहीं पाता।
"Mahtaab Shayari For Facebook"
इश्क़ के आग़ोश में बस इक दिले खाना खराब,
हुस्न के पहलू में रुकता आफ़ताब-ओ-माहताब।
बहार-ए-रंग-ओ-शबाब ही क्या सितारा ओ माहताब भी,
तमाम हस्ती झुकी हुई है, जिधर वो नज़रें झुका रहे हैं।
"Mahtaab Status For Facebook"
गुल हो, माहताब हो, आईना हो, खुर्शीद हो,
अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो।
हिला-ए-ईद का मुँह चूमो इस के आने से,
ज़मीं पे देखे कई माहताब ईद के दिन।
"Mahtaab Poetry In Urdu"
तू माहताब सही अपने आसमान का,
मैं भी सितारा हूं किसी के अरमान का।
हंसती हो तो बिखरती है शफ़्फ़ाक चांदनी,
तुम चौदहवीं का खिलता हुआ माहताब हो।
Hindi Mahtaab Shayari
मौसम भी है, उम्र भी, शराब भी है; पहलू में वो रश्के-माहताब भी है,
दुनिया में अब और चाहिए क्या मुझको; साक़ी भी है, साज़ भी है, शराब भी है।
अब क्या मिसाल दूँ, मैं तुम्हारे शबाब की,
इन्सान बन गई है किरण माहताब की।
Mahtaab Par Shayari Images
करवटों के दाग़ लिए फ़ना ज़िस्म पर रूबरू हुए तो क्या,
कांधों का काफ़िया चल पड़ा है अब याद ओ माहताब में,
जहाँ ही जाने दिन कब होता है,रात कैसे होती है।
गुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शाम,
धुल के निकलेगी अभी चश्म-ए-माहताब से रात।
Famous Mahtaab Shayari
हर एक पुरा ख़्वाब नहीं होता,
हर रात पुरा माहताब नहीं होता।
हर एक रात को माहताब देखने के लिए,
मैं जागता हूँ तेरे ख़्वाब देखने के लिए।
Mahtaab Shayari
शिददत से पलटना ज़िन्दगी के पन्ने इस किताब में अज़ाब और माहताब बहुत हैं,
यु ही नही कोई कहता इसे जिंदगी,इस के किस्से लाजवाब बहुत हैं।
उसके चेहरे में मिलता था माहताब मुझे,
मैंने देखा ही नहीं इसलिए आसमां कभी।
"Mahtaab Shayari"
न आफताब सा बनना न माहताब मुझे,
मैं एक लम्हा हूँ जुगनू सा चमक जाता हूँ।
न इतना ज़ुल्म कर ऐ चाँदनी बहर-ए-ख़ुदा छुप जा,
तुझे देखे से याद आता है मुझ को माहताब अपना।
"Mahtaab Shayari For Facebook"
मैंने माहताब की किरणों से बचाया था जिसे,
धूप ओढ़े हुए फिरता है वो बाज़ारों में।
चुन्नी में लिपटा छत पर माहताब आने को हैं,
हसरतों की गली में कोई ख्वाब आने को हैं।
तूने रुख से पर्दा क्या हटाया,बेईमान दिल मुँह को होने लगा,
शर्मा कर तारें भी हैं छिपने लगे,महताब बादलों से जो निकलने लगा।
इन जागती आँखों में है ख्वाब क्या क्या,
बारिश, भीगे बदन, माहताब क्या क्या।
शब ए माहताब देखा था आफ़ताबी हुश्न तेरा,
फिर सारी रात शबनम बनकर बरस गयी।