Inspirational Shrimad Bhagavad Gita Quotes
सिर्फ मन ही किसी का दोस्त और किसी का दुश्मन होता हैं।
चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं
और माफ़ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं।
जो चीजे तुम्हारे दायरे से बाहर हो
उसमे समय गंवाना मूर्खता है।
जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी शक के,
किसी जरूरतमंद इंसान को दिया जाए, वही सच्चा दान हैं।
जीवन का दूसरा नाम संघर्ष हैं।
जिस तरह आग सोने को परखती है
उसी तरह मुसीबत एक बहादुर इंसान को।
अभिमान नहीं होना चाहिए की मुझे किसी की जरुरत नहीं पड़ेगी
और यह वहम भी नहीं होना चाहिए की सब को मेरी जरुरत पड़ेगी।
जो मनुष्य फल की इच्छा का त्याग करके केवल कर्म पर ध्यान देता है,
वह अवश्य ही जीवन में सफल होता है।
मदद सबकी करो मगर आशा किसी से मत रखो,
क्योंकि सेवा का सही मूल्य ईश्वर ही दे सकते हैं।
जैसे समुद्र के पार जाने के लिए नाव ही एक मात्र जरिया है,
वैसे ही स्वर्ग में जाने के लिए सत्य ही एक सीढी हैं।
सच्ची दोस्ती दुःख को आधा और सुख को दो गुना कर देती हैं।
जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा हैं,
क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान से उसकी जुबान ही करवाती हैं।
परिवर्तन संसार का नियम है,
समय के साथ संसार मे हर चीज परिवर्तन के नियम का पालन करती है।
जो बीत गया उस पर दुःख क्यों करना,
जो है उस पर अहंकार क्यों करना,
और जो आने वाला है उसका मोह क्यों करना।
Inspirational Shrimad Bhagavad Gita Quotes
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेता हैं,
तब वे पूर्णता प्राप्त कर लेता हैं।
व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में रखने के लिए
बुद्धि और मन को नियंत्रित रखना होगा।
इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है यह जानते हुए भी कि
भाग्य से भी ऊंचा उसका कर्म है जिसके स्वयं के हाथों में है।
इस दुनिया में कोई भी पूरी तरह से सही नहीं है इसलिए
लोगों की अच्छाइयों को देखकर उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाए।
जब हमारा मन कमजोर होता हैं, तब परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं
और जब हमारा मन कठोर होता है तब परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं।
जब हमारा मन मजबूत होता हैं, तब परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं।
अगर आप अपनी गलतियों से कुछ सीखते हो,
तो गलतियां सीढ़ियाँ बनती हैं और अगर नहीं सीखते हैं,
तो गलतियां सागर हैं, फैसला आपका है चढ़ना है या डूबना है।
जो जितना शांत होता है,
वो उतनी ही गहराई से अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सकता हैं।
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को न छोड़े,
क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करनेवालों की राय बदल जाती हैं।
सबसे समझदार इंसान वही हैं,
जो सफलता मिलने पर अहंकार में नहीं आता
और असफलता में गम में नहीं डूब जाता हैं।
नकारात्मक विचारों का आना तय है लेकिन यह आप पर निर्भर करता हैं,
की आप उन्हें महत्व देते हैं या फिर अपने सकारात्मक विचारों पर ही ध्यान लगाए रहते हैं।
जो इंसान सभी इच्छाएँ त्याग देता है,
उसे शान्ति की प्राप्त होती है।
प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को क्रोध और लोभ त्याग देना चाहिए
क्योंकि इससे आत्मा का पतन होता है।
जो आपका है वो आपको मिलकर ही रहेंगा,
फिर चाहे उसे छीनने के लिए पूरी कायनात एक हो जाए।
हमेशा याद रखना,
बेहतरीन दिनों के लिए बुरे दिनों से लड़ना पड़ता हैं।
प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार है,
इसलिए बड़ा सोचे और खुद को जितने के लिए हमेशा प्रेरित करें।
अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे।
इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, आप सिर्फ अपना कार्य करते रहो।
नरक के तीन द्वार हैं –
वासना, क्रोध और लालच।
मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं
और जो मुझसे प्रेम करते हैं।
समय से पहले और भाग्य से अधिक
किसी को कुछ भी नहीं मिलता।
इंसान अपने विश्वास से बनता है,
जैसा वो विश्वास करता हैं वैसा वो बन जाता हैं।
लगातार कोशिश करने से
अशांत मन को वश में किया जा सकता हैं।
कोई भी अपने कर्म से भाग नहीं सकता,
कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता हैं।
इसलिए अच्छे कर्म करो ताकि अच्छे फल मिले।
ज्यादा खुश होने पर और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए।
क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्यय नहीं लेने देती हैं।
जो होने वाला हैं वो होकर ही रहता है,
और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता,
जो ऐसा मानते हैं, उन्हें चिंता कभी नहीं सताती हैं।
सही कर्म वह नहीं है जिसके परिणाम हमेशा सही हो
बल्कि सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी भी गलत ना हो।
श्रीमद भगवद गीता के प्रेरक कथन
धरती पर जिस तरह मौसम में बदलाव आता हैं,
उसी तरह जीवन में भी सुख- दुःख आता जाता रहता हैं।
मानव कल्याण ही भगवद गीता का प्रमुख उद्देश्य है,
इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय,
मानव कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
जो व्यवहार आपको दूसरों से अपने लिए पसंद ना हो,
ऐसा व्यवहार दूसरों के साथ भी ना करें।
हे पार्थ, तुम फल की चिंता मत करो,
अपना जरुरी कर्म करते रहो में फल जरूर दुंगा।
तुम्हारे साथ जो हुआ वह अच्छा हुआ,
जो हो रहा है वो भी अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा होगा।
जीवन का आनंद ना तो भूतकाल में है और ना भविष्यकाल में
बल्कि जीवन तो बस वर्तमान को जीने में है।
मन की शांति से बढ़कर इस संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है।
जो व्यक्ति मन को नियंत्रित नहीं करते,
उनके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता हैं।
जो लोग बुद्धि को छोड़कर भावनाओं में बह जाते हैं,
उन्हें हर कोई मुर्ख बना सकता हैं।
कोई भी इंसान अपने जन्म से नहीं,
बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।
दोस्तों, अगर आपको श्रीमद भगवद गीता के 50 प्रेरक कथन पसंद आये हो और आपको श्रीमद भगवद गीता पढ़नी हो तो आप खरीद सकते हैं।