Basheer Badr
Mukesh Kumar
July 12, 2024
Basheer Badr
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना,
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते,
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते।
Basheer Badr
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं,
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में।
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला।
Fan-o-Shakhsiyat
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे,
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ।
Bashir Badr
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा,
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो।
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है,
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे।
Basheer Badr Ki Ghazlen
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।
Basheer Badr Ki Ghazlen
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो,
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली।
बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।