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Bashir Badar hindi shayari and quote

Bashir Badr

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं, उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में।
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो, हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली।
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी, लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे।
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो।
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने, बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला।

Bashir Badr

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा, यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो।
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं, दिल हमेशा उदास रहता है।
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा।
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा, जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे।
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला, मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा।

Bashir Badr

मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना, यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है, ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।
न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की।
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

Bashir Badr

ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं, पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना, जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता।
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला, अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे।

Bashir Badr

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी।
भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले, न कभी हमारे क़दम बढ़े न कभी तुम्हारी झिजक गई।
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा, मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा।
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है।
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा, तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो।

Bashir Badr

अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ, मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे।
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है, रहे सामने और दिखाई न दे।
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है, कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता।
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें, उदास होने का कोई सबब नहीं होता।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा, कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा।

Bashir Badr

न तुम होश में हो न हम होश में हैं, चलो मय-कदे में वहीं बात होगी।
इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं, उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं।
जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता।
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है, मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे।
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए, तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए।

Bashir Badr

आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है, बेवफ़ाई कभी कभी करना।
बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम, मुझे पता चला वो कितनी ख़ूबसूरत है।
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है, कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है।
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है, जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है।
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला, जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं।

Bashir Badr

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है।
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में।
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं, तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं।
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा, मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा।
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में, फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।

Bashir Badr

वो चेहरा किताबी रहा सामने, बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई।
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम, तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे।
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें, आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे, बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला।
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली, दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली।

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