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मनुष्य को अपने स्वाभाव में थोड़ी चतुर एवं सावधानी रखना अवशयक है

सत्य बोलो ! सदा शुद्ध एवं सरल जीवन व्यातित करो। ये सिख आप बचपन से सुनते आ रहे हो। लेकिन मैं कहूंगा की शुद्ध एवं सरल जीवन व्यातित करने के साथ-साथ सावधान भी रहो।

आंधी चक्रवत की मार्ग।
आंधी चक्रवत की मार हो या मनुष्य का प्रहर जो वृक्ष सीधे तनकर खड़े रहते हैं वो सबसे पहले गिर जाते हैं। लेकिन जिन्हें आंधी के समक्ष झुकाना आता है, वो बच जाते हैं। सत्य के मार्ग पर टीके रहना उचित है परन्तु दुष्टो से बचने के लिए समय के साथ ढलना आना चाहिए । सावधानी की लोच सिखानी चाहिए । मखन में मिला थोडा सा नमक उसके गुणों को नष्ट नहीं करता अपितु उसमें घुलकर उसे नष्ट हो जाने से बचता है।
इसी प्रकार एक सच्चे एवं  सरल मनुष्य को अपने स्वाभाव में थोड़ी चतुर एवं  सावधानी रखना अवशयक है..
इस नीति को अपनाई। नियाती स्वयं बदल जाए।
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