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योजना! जितनी गुप्त हो सफलता उतनी ही निश्चित है।

जीवन में आपने कितने लक्ष्या शाधे होंगे, परनतु प्रश्न यह है विफल कितने में हुये ?
विफल होने पेर मन मे यह विचार अवशय आत होगा की परिशराम किया दृढ़ निशचय रखा तो फिर विफल क्यों हुआ? इस प्रश्न का उत्तर जनने के लिए एक प्रश्न अपने आप से पुछइए की जिस योजना को लक्ष्या के साथ कर आगे बढ़े थे।


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उसका ध्यान किस किस को था पापीते के वृक्ष पर जब फल आते हैं तो उस कपड़े से ढक दिय जाता है। ऐसा एसलिए करते हैं की कहीं उसकी रंग और गंध से किट और पक्षी आकर्षित होकर उस खाना न जाये एसलिए यदी फल क आनंद लेना है तो उस गुप्त रखना होगा।

सफल होने के लिए केवल परिशरम हि होना ही परयाप्त नहीं है। यदी लक्ष्य की प्राप्ति करनी है तो उस योजना को गुप्त रखना होगा जिससे आप लक्ष्य पाना चाहते हैं। योजना! जितनी गुप्त हो। सफलता उतनी ही निश्चित है।
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