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महाकुंभ का सबसे बड़ा भगदड़ कहा हुआ था | महाकुंभ मेला भगदड़ (Stampede) – प्रमुख घटनाएँ

महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान करने आते हैं। इतनी बड़ी भीड़ को संभालना प्रशासन के लिए हमेशा एक चुनौती रहा है। कई बार महाकुंभ और अर्धकुंभ मेले में भगदड़ जैसी दुखद घटनाएँ हुई हैं, जिनमें सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं।

Kumbh Mela stampede latest  dead in crowd crush at Hindu festival in India

प्रमुख भगदड़ की घटनाएँ:

1. 1954 – प्रयागराज (इलाहाबाद) महाकुंभ भगदड़

यह अब तक की सबसे भयावह भगदड़ में से एक थी। इस भगदड़ में लगभग 800 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हुए और भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन विफल रहा, जिसके कारण पुल पर ज्यादा दबाव पड़ने से हादसा हुआ।

2. 1986 – हरिद्वार कुंभ मेला भगदड़

इस घटना में लगभग 50 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, अचानक भीड़ के बढ़ने से यह हादसा हुआ था।

3. 2003 – नासिक कुंभ मेला भगदड़

त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास भगदड़ मच गई थी इस हादसे में 39 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे यहा मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ मुख्य कारण बनी।

4. 2013 – प्रयागराज (इलाहाबाद) अर्धकुंभ भगदड़

यह हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुआ था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ 36 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।

5. 2013 – प्रयागराज (इलाहाबाद) अर्धकुंभ भगदड़

महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जो 14 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जा है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्रित हो रहे  हैं। हालांकि, इतनी बड़ी भीड़ के कारण सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होती है।

हाल ही में, 29 जनवरी 2025 को, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान एक भगदड़ की घटना हुई, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। यह घटना मेले के सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिवस पर हुई, जब लगभग 100 मिलियन (10 करोड़) श्रद्धालुओं के अकड़ा बताई जा रही है। इस घटना ने मेले की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं। 

भगदड़ के प्रमुख कारण:

  • श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ और प्रशासनिक व्यवस्था की कमी।
  • अव्यवस्थित यातायात और सीमित प्रवेश व निकास मार्ग।
  • अफवाहें फैलने से अचानक घबराहट में लोगों का धक्का-मुक्की करना।
  • पुलों और रेल स्टेशनों पर जरूरत से ज्यादा दबाव बढ़ जाना।

निष्कर्ष:

महाकुंभ मेला धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है, लेकिन इस आयोजन में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को सख्त और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। आधुनिक तकनीक, बेहतर यातायात प्रबंधन और सुरक्षा उपायों से इन दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी भय के अपने धार्मिक अनुष्ठान पूरे कर सकें।


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