1818 भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण वर्ष था जब तीसरा अंग्रेज़-मराठा युद्ध अपने अंतिम चरण में पहुंचा। यह संघर्ष ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के बीच हुआ, जिसने भारत में ब्रिटिश सत्ता को निर्णायक रूप से स्थापित किया।
संघर्ष की पृष्ठभूमि | Background of the Conflict
मराठा साम्राज्य 18वीं शताब्दी के अंत तक भारत की एक प्रमुख शक्ति थी। लेकिन 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति लगातार बढ़ रही थी।
- ब्रिटिश विस्तारवादी नीति – अंग्रेजों ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मराठों के खिलाफ सैन्य अभियानों की शुरुआत की।
- मराठा संघ की आंतरिक कलह – पेशवा बाजीराव द्वितीय, होल्कर, सिंधिया, भोंसले और गायकवाड़ जैसे मराठा सरदारों के बीच आपसी संघर्षों ने उनकी शक्ति को कमजोर कर दिया।
- 1802 की बसई संधि – इस संधि ने अंग्रेजों को मराठा मामलों में दखल देने का अवसर दिया, जिससे तनाव बढ़ गया।
मुख्य घटनाएँ | Key Events
- जनवरी 1818: ब्रिटिश सेना ने सतारा पर कब्जा कर लिया।
- फरवरी 1818: नाना फड़नवीस की मृत्यु से मराठा नेतृत्व और कमजोर हुआ।
- अप्रैल 1818: ब्रिटिश जनरल सर थॉमस हिस्लोप ने असीरगढ़ के किले को जीत लिया, जो मराठों का अंतिम प्रमुख किला था।
- पेशवा बाजीराव द्वितीय का आत्मसमर्पण: मराठों की हार के बाद, पेशवा ने ब्रिटिश सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें बिठूर (कानपुर) में निर्वासित कर दिया गया।
युद्ध का परिणाम | Results of the War
- मराठा साम्राज्य का अंत: 1818 के बाद मराठों की शक्ति पूरी तरह समाप्त हो गई।
- भारत में ब्रिटिश शासन का विस्तार: अब भारत का अधिकांश भाग अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया।
- ब्रिटिश प्रशासन की स्थापना: मराठों के पराजय के बाद, भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन और अधिक संगठित हुआ।
- संघर्ष की विरासत: यह युद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना, क्योंकि इससे भारतीयों में ब्रिटिश सत्ता के प्रति असंतोष पनपने लगा।
1818 का वर्ष भारत के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला साबित हुआ। मराठों की हार ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के वर्चस्व को सुनिश्चित कर दिया और आने वाले वर्षों में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को जन्म दिया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) | Frequently Asked Questions
1. तीसरे अंग्रेज़-मराठा युद्ध का मुख्य कारण क्या था?
- इसका मुख्य कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विस्तारवादी नीति और मराठा संघ में आंतरिक कलह थी।
2. तीसरे अंग्रेज़-मराठा युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध कौन सा था?
- अप्रैल 1818 में असीरगढ़ के किले पर हुआ युद्ध सबसे महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह मराठा साम्राज्य का अंतिम प्रमुख किला था।
3. पेशवा बाजीराव द्वितीय का क्या हुआ?
- उन्होंने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें बिठूर (कानपुर) में निर्वासित कर दिया गया।
4. इस युद्ध का भारत के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
- इस युद्ध ने भारत में ब्रिटिश शासन को और अधिक मजबूत किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी।
5. क्या तीसरा मराठा युद्ध मराठों की अंतिम हार थी?
- हाँ, 1818 में मराठों की हार के बाद, उनका राजनीतिक वर्चस्व समाप्त हो गया और भारत पर ब्रिटिश शासन पूरी तरह स्थापित हो गया।